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रवि परमेश्वरीय होने का अर्थ

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“रवि परमेश्वरीय” एक विचार है, जिसका यथार्थ के धरातल पर वर्तमान में कोई वजूद नहीं है | कोई भी शख्स जैसा आज है, वैसा भविष्य में नहीं रहना चाहता है, कुछ और हो जाना चाहता है और इसी प्रक्रिया के अंतर्गत वह अपना एक आदर्श स्वरुप गढ़ता है और उसे अपने मष्तिष्क में संजोये रखता है | एक आम इन्सान की यही फितरत होती है, और एक आम इन्सान होने के नाते मैंने भी अपना एक आदर्श स्वरुप गढ़ा है, जिसे नाम दिया है “रवि परमेश्वरीय”|

रवि परमेश्वरीय वह है, जो खुद परिस्थितियों के अनुसार नहीं ढल जाता है, बल्कि परिस्थितियों को अपने अनुसार ढाल लेता है | जो हर स्थिति में शांतचित रहता है | जिसका ईश्वर में अटल विश्वास है और वह सिर्फ ईश्वर की ही सत्ता को स्वीकार करता है | वह सब धर्मों का सम्मान करता है, लेकिन न तो वह किसी धर्म विशेष का अनुयायी है और न ही वह किसी जाति विशेष से जुड़ा हुआ है | वह तो सीधा परमपिता परमेश्वर से जुड़ा है और परमेश्वर द्वारा रचित हरेक इन्सान से उसे प्रेम है | वह मन, कर्म एवं वचन से अहिंसा का पालन करता है | सत्यता, ईमानदारी एवं पारदर्शिता जैसे तमाम अत्यावश्यक गुण उसमें कूट-कूट कर भरे हुए हैं | वह श्रीकृष्ण की तरह हर स्थिति में तुरंत पहचान जाता है कि क्या सही है और क्या गलत |

वह हमेशा सही रास्ते चुनता है और चुने हुए रास्तों पर अकेले चलने में उसे जरा भी घबराहट नहीं होती है | वह ईश्वर को मानता है, लेकिन ईश्वर से प्रार्थना नहीं करता, क्योंकि उसके लिए उसका कर्म ही प्रार्थना है| साथ ही वह ईश्वर के मातृशक्ति रूप का भी उपासक है | मातृशक्ति की उपासना के लिए वह आरती या चालीसा का पाठ नहीं करता बल्कि हरेक नारी के लिए उसकी नजरों में सम्मान होता है और उसकी भाषा में भूल से भी ऐसा कोई शब्द नहीं आता, जिससे नारी के सम्मान में कमी हो | वह मातृशक्ति की उपासना का यही तरीका जानता है |

उसमें असीमित सकरात्मक शक्ति है और असीम संभावनाएं उसका इंतजार करती हैं | वह समय प्रबंधन में माहिर है, उसे क्षमा मांगना भी आता है और क्षमा कर देना भी | वह अन्याय सहन नहीं कर सकता है, और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वालों की सूची में उसका नाम प्रथम स्थान पर आता है | वह एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व है |

तो जनाब ! यह है “रवि परमेश्वरीय” होने का अर्थ | और मैं यह हो जाना चाहता हूँ | और इस सफ़र की शुरुआत भी मैं बहुत पहले ही कर चुका हूँ | काफी लम्बा है यह सफ़र, लेकिन उतना ही सुन्दर और आकर्षक है, जितनी मंजिल | मानो कि मंजिल ही पूरे रास्ते में बिछ गई हो |

हो सकता है कि मंजिल मिल जाए, लेकिन न भी मिले मंजिल और सफ़र में ही पूरी जिंदगी कट जाए तो भी गम नहीं | मरते वक्त फ़क्र तो रहेगा ही कि जो किया, सही किया और सही नहीं भी किया तो भी सही करने की कोशिश तो की ही |

यों तो मैं अकेला भी चल सकता हूँ, इस जिन्दगी के सफ़र में | लेकिन आपका प्यार अपेक्षित है और अगर मिला तो वैसे ही सहयोगी होगा, जैसे तैराक के लिए उत्प्लावन बल |

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About The Author

Ravi Parameshwariya

मेरा उद्देश्य है कि मेरे विचार समाज के हर उस व्यक्ति तक पहुंचे, जिसकी पृथ्वी को निवास करने के लिए एक बेहतरीन स्थान बनाने में रुचि हो। मेरी रुचि उन सब विषयों में है, जो मानवता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। मैं समाज को रूढ़िवादी विचारों से मुक्त कर सोचने-विचारने के नए आयामों से परिचित कराना चाहता हूं। हिंदीजुबां के जरिए लोगों तक आवाज पहुंचाना, इस ओर मेरा एक छोटा सा प्रयास है।

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