मेरा आंशिक मौन व्रत
बहुत दिनों से मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मैं आवश्यकता से अधिक अनुभवी और ज्ञानी हो गया हूं। यदि यह सच है तो बहुत ही अच्छी बात है और यदि यह सच नहीं है तो इस भ्रांति के जनक मुझे चाहने वाले मेरे अजीज दोस्त, मेरे सहकर्मी एवं मेरे रिश्तेदार हैं।
मैंने मेरे सेंस ऑफ ह्यूमर, कार्यशैली और मेरे विचारों की जो तारीफ सुनी है, वह मुझे अपने आप को विशेष मानने का आधार प्रदान करती है। पर साथ ही मुझे यह भी अनुभव हो रहा है कि विभिन्न वाद-विवादों, विभिन्न वार्ताओं और विभिन्न विनोदपूर्ण बातों में मेरे सक्रिय रूप से शामिल होने के कारण मेरी ऊर्जा व्यर्थ ही प्रवाहित हो रही है। समय भी इस तरह से आगे बढ़ रहा है, मानो उसका प्राथमिक उद्देश्य मुझे पीछे छोड़ देना ही हो।
मैं सरकारी नौकरी तो कर रहा हूं, पर मैं साठ वर्ष की उम्र होने तक यही कार्य नहीं करते रहना चाहता हूं, क्योंकि मैं यही नौकरी करता रह गया तो इस भारत भूमि को मेरे इस दुनिया में होने का कोई फायदा नहीं मिल पाएगा। भारत भूमि को फायदा तो तब मिलेगा, जब मैं कोई ऐसा कार्य करूं, जो आमजन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करे। संभावनाएं असीम हैं, पर उन्हें तलाशने के लिए समय एवं उर्जाओं का सदुपयोग करना होगा।
बेवजह ही बह रही उर्जाओं को संकलित करने एवं समय का सदुपयोग करने हेतु काफी सोच विचार के पश्चात मैंने आंशिक मौन व्रत धारण करने का निर्णय किया है। मैं उतना ही बोलूंगा, जितना आवश्यक हो। मेरे सभी अजीज मित्रों, सहकर्मियों एवं रिश्तेदारों से अनुरोध है कि आप इसे मेरे ऊर्जाओं को संकलित करने एवं समय का सदुपयोग करने के प्रयास के रूप में ही देखें। मैं आपसे दूर नहीं जा रहा हूं, आपके प्रति मेरा प्यार पहले की तरह ही बरकरार रहेगा। यह तो बस एक कोशिश है, अपनी क्षमताओं में अभिवृद्धि करने की, ताकि मेरे प्रेम के दायरे में अधिक से अधिक लोग समाहित हो सके।
Recent Comments