जीवनसाथी कैसे चुनें?
जीवन में स्थिरता, शांति एवं समृद्धि के लिए एक अच्छे जीवनसाथी की आवश्यकता होती है। एक अच्छा जीवनसाथी जिंदगी को रेगिस्तान जैसी बनने से रोकता है और खुशनुमा बना देता है। दूसरे शब्दों में, एक अच्छा जीवनसाथी जीवन को ऐसा बना देता है, मानो पूरी जिंदगी एक श्रावण का महीना हो और हर वक्त, हर दिशा में, हरियाली ही हरियाली दिखाई दे रही हो। मुसीबतों में भी जीवन जीने की इच्छा को समाप्त नहीं होने देता है, एक अच्छा जीवनसाथी।
एक अच्छे जीवनसाथी की तलाश तो हर किसी को रहती है, लेकिन इस कार्य में सफलता हर किसी को इतनी सरलता से नहीं मिल पाती है। यह लेख जीवनसाथी तलाश रहे लोगों की सहायता के उद्देश्य से लिखा जा रहा है। तो आइए, निम्नांकित कुछेक बिंदुओं पर विचार करते हैं, जो जीवन साथी के चुनाव में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं:-
आर्थिक स्थिति:- यदि आप लड़की ढूंढ रहे हैं, तो लड़की की आर्थिक स्थिति को कोई महत्व मत दीजिए। दहेज की लालसा तो पूर्णतः त्याग दीजिए। दहेज लेना ठीक बात नहीं है और “हमारी कोई मांग नहीं है, हरेक लड़की के पैरेंट्स अपनी क्षमताओं के अनुसार सब कुछ अच्छा ही करते हैं, डिमांड करना तो बिल्कुल गलत है।” यह संवाद बोलकर अपने आप को महान सिद्ध करते हुए दहेज लेने वाले लोग भी दहेजलोभियों की श्रेणी में ही आते हैं। दहेज सिर्फ वे लोग लेते हैं, जिनको अपने सामर्थ्य पर भरोसा नहीं होता और इसलिए उन्हें रिश्तों को धन की बुनियाद पर खड़ा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती। इसी प्रकार यदि आप लड़का ढूंढ रहे हैं, तो भी लड़के की आर्थिक स्थिति को कोई महत्व मत दीजिए। क्योंकि संयोगवश या भाग्यवश अच्छी आर्थिक स्थिति तो किसी की भी हो सकती है, लेकिन आर्थिक स्थिति को हमेशा अच्छा बनाए रखने के लिए योग्यता की आवश्यकता होती है और जिसके पास योग्यता है, वह खराब आर्थिक स्थिति को भी सुधार सकता है।
नौकरी/ व्यवसाय/ प्रोफेशन:- दोनों में से कम से कम एक के पास तो एक ऐसी नौकरी/ व्यवसाय/ प्रोफेशन अवश्य होना चाहिए, जिसके आधार पर एक परिवार बसाने का साहस किया जा सके। चाहे दोनों में से एक कमा रहा हो या दोनों कमा रहे हों, लेकिन ध्यान रहे कि शादी के पश्चात दोनों की कुल आय एवं कुल व्यय की समस्त जानकारी दोनों को होनी चाहिए तथा समस्त आर्थिक मुद्दों पर दोनों की परस्पर सहमति होनी चाहिए।
शारीरिक सौंदर्य:- शारीरिक सौंदर्य की कोई निश्चित परिभाषा नहीं होती। मुझे नहीं लगता कि यह कोई महत्वपूर्ण मुद्दा है, लेकिन फिर भी आप मेरी बात से सहमत नहीं है, तो निर्णय करते वक्त शारीरिक सौंदर्य को चार से पांच प्रतिशत भार (weightage) दे सकते हैं।
परिवार:- लड़का या लड़की के परिवार का कोई सदस्य आपराधिक कृत्यों में लिप्त नहीं होना चाहिए। परिवार की इससे अधिक छानबीन करने का कोई औचित्य नहीं है। कई लोग उस लड़की को पसंद नहीं करते, जिसके भाई/ पिता/ माता नहीं होते। लेकिन यह नजरिया न तो सैद्धांतिक दृष्टिकोण से उचित है और न ही यह नजरिया व्यवहारिक दृष्टिकोण से उचित है, बल्कि मेरा तो मानना है कि अनाथाश्रम में पले-बढ़े युवक/ युवतियां भी एक अच्छे जीवनसाथी की कसौटी पर खरे उतर सकते हैं। अधिकतर लोग अपनी संकीर्ण मानसिकता के कारण अनाथाश्रम में जीवनसाथी तलाशना उचित नहीं मानते। आप निश्छल मन से कदम बढ़ाते हैं, तो अनाथाश्रमों में जीवनसाथी तलाशने में भी आपको कोई बुराई नजर नहीं आएगी। क्योंकि बिना माता-पिता के जो अपने अस्तित्व को बनाए रखे हुए हैं, उन्हें दूसरों से कमतर समझना पूर्णतः अनुचित है।
वैचारिक सौंदर्य:- मनुष्य मूलतः वह है, जो विचारों एवं व्यवहार के द्वारा वह अभिव्यक्त होता है। इसलिए जीवनसाथी के चयन में विचारों की सुंदरता को अत्यधिक महत्व दिया जाना चाहिए। लेकिन विचारों की सुंदरता को पहचानना बहुत ही कठिन है, क्योंकि हरेक व्यक्ति हमेशा आदर्शवादी दिखने की कोशिश करता है और हमेशा उच्च आदर्शवादी विचारों को ही अभिव्यक्त करता है। विचारों की वास्तविकता तो जीवन के वास्तविक धरातल पर ही प्रकट होती है। पारिवारिक रिश्तों के बारे में आदर्श बातें करने वाले लोग वास्तविकता में रिश्तों में कड़वाहट भरने का कार्य भी कर सकते हैं। विचारों के सौंदर्य का आँकलन करने की योग्यता हर किसी में नहीं होती है। इस योग्य होने के लिए आपको सर्वप्रथम तो खुद के विचारों को सुंदर बनाना होगा, तत्पश्चात दूसरों के विचारों के पीछे छुपे हुए अनकहे विचारों को पहचानने की योग्यता भी अर्जित करनी होगी।
प्रेम, समर्पण एवं स्वतंत्रता:- यदि आप जीवनसाथी ढूंढ रहे हैं, तो जीवनसाथी के चयन के उपरांत उसके प्रति समर्पित रहने के लिए तैयार रहें, क्योंकि प्रेम एवं समर्पण की नींव पर ही एक अच्छे रिश्ते का निर्माण हो सकता है। साथ ही यह भी याद रखें कि आप यदि किसी से जुड़ने जा रहे हैं तो उसे गुलाम बनाने या बदलने की कोशिश न करें। प्रेम किसी को गुलाम नहीं बनाता, बल्कि स्वतंत्र कर देता है। प्रेम किसी को बदलने की कोशिश नहीं करता, बल्कि उसके अस्तित्व को ओर अधिक प्रगाढ़ करता है।
परिस्थितियां:- हरेक व्यक्ति की स्वयं की परिस्थितियां होती हैं, जिनके अनुसार उसका दृष्टिकोण निर्मित होता है और उसके दृष्टिकोण के अनुरूप ही उसे जीवनसाथी का चुनाव करना चाहिए। जैसे किसी को शाकाहारी जीवनसाथी चाहिए, तो किसी को नॉन-एल्कोहलिक जीवन साथी चाहिए। यद्यपि जीवनसाथी का चयन आपको स्वयं ही करना चाहिए, लेकिन यदि आप असमंजस में है और आपको मदद चाहिए तो आप अपने उन दोस्तों, रिश्तेदारों अथवा अभिभावकों की राय ले सकते हैं, जिनसे आपकी रोज बातचीत होती है और जो आपको अच्छी तरह से समझते हैं।
अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि आपको सिर्फ अपना कार्य करना है। बाकी सब परमेश्वर के हाथ है। परमपिता परमेश्वर जिसको जैसे रखना है, वैसे ही रखेंगे। मुझे कई दफ़ा महसूस होता है कि ज़िंदगी की पटकथा लिखने वाला तो परमेश्वर ही है, हम लोग योंही ख़ुश हुए रहते हैं कि “मैंने यह कर दिया”, “मैंने वह कर दिया”। गोया कि पर्वत के शिखर से नीचे की और लुढ़क रहा पत्थर अपनी गति पर गर्व कर रहा हो। जैसे पत्थर की गति उसकी स्थिति एवं गुरुत्वाकर्षण बल के कारण है, उसी प्रकार शायद हमारा जीवन भी हमारे कर्मों और विचारों के कारण निर्मित स्थिति एवं प्रभु की इच्छा पर निर्भर करता है।
Bohot khub 🙃